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Monday 30 May 2016

A wonderful poem dedicated to no tobacco day....by Shikhar Pathak of guru kripa divine grace public school (GKDGPS)

धूम्रपान का अंजाम 

आओ बच्चों तुम्हे  सुनाए  अच्छी एक कहानी ,
करके बुरी नक़ल  एक बालक  ने  की  थी नादानी। 
उसका बाप वकील एक था सिगरेट  का था आदि ,
काली बड़ी-बड़ी मुछे  थी वस्त्र  पहनता था खादी।।

लड़के ने बस स्वांग बनाया नकली मूंछ लगायी,
कोट-पैंट खादी  के  पहने झट सिगरेट जलाई। 
उसी  ढंग से नक़ल किया और कश -कश धुंआ उड़ाया ,
सिगरेट जली फक से चारो ओर उजाला छाया।।

लड़के को अभिमान हुआ यूँ सिगरेट जल जाने में ,
जली पैंट जल  उठा कोट असमर्थ मुक्ति पाने में।
कम्बल में लपेट के उसको एक व्यक्ति ने पटका ,
कुछ झुलसा कुछ जला लग गया मर जाने का खटका।।

बुरी नक़ल  से  सदा बचो यह हरदम ही दुखदाई हे ,
नक़ल करो अच्छे की वह तो हरदम ही सुखदाई हे।


शिखर पाठक। 


नयी  पोस्ट  के लिए बने रहिये 
धन्यवाद। 

shikharpath.blogspot.com

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