HINDI PLAY on CORRUPTION IN EDUCATION SYSTEM BY SHIKHAR PATHAK............
Scene 1:INT: क्लासरुम ‘सेवक पाठशाला’लिखा बैनर दीवार पर लगा है, साइड में वर्ल्ड मैप लगा है। एक टेबल पर रजिस्टर और छड़ी रखी है, एक कुर्सी भी साथ में रखी है। बच्चे शोरगुल कर रहें हैं। मास्टर एक हाथ में किताब लेकर लंगड़ाते हुए दाखिल होता है। मास्टर:- ऐ … शांत रहो। बच्चे:- गुड मार्निंग सर। मास्टर:- गुड मार्निंग। (मास्टर जैसे ही कुर्सी पर बैठने की कोशिश करता है, एक लड़का कुर्सी खींच लेता है जिससे मास्टर गिर जाता है।) मास्टर:- (डांट लगाते हुए) तुं मुर्ख है क्या? (टेबल से छड़ी उठाकर पीठ पर बजाते हुए) चल कान पकड़! (लड़का मास्टर के कान की तरफ हाथ बढ़ाता है।) मास्टर:- (डांटते हुए) अबे, मेरे नही, अपनें कान पकड़! (लड़का अपने कान पकड़ लेता है। मास्टर कुर्सी पर बैठ कर रजिस्टर खोलता है और हाजिरी लेना शुरू करता है।) – होशियार सिंह – यस सर – अमरीक सिंह – जी, सर – फुलतुड़ु सिंह – हाजिर श्रीमान – तोता राम – जी सर – रलिया राम – उपस्थित श्रीमान मास्टर:- रलिया, तुं कल स्कूल क्यों नही आया था? रलिया:- मास्टर साब, कल मैं गिर पड़ा था, लग गयी थी। मास्टर:- कहाँ गिर पड़ा था, … क्या लग गयी थी? रलिया:- मास्टर साब, बिस्तर पर गिर पड़ा था, नींद लग गयी थी। मास्टर:- (छड़ी लगाते हुए) हप! … बैठ। (रलिया बैठ जाता है।) मास्टर:- ठीक है बच्चों, सब शांत होकर बैठो और मेरी बात सुनो। बच्चे:- यस सर/ जी सर। मास्टर:- कल स्कूल इंस्पेक्टर यहाँ आएगा, आप खुराफात थोड़ा कम करना और वो जो सवाल पुछे उसका जबाव ठीक-ठीक देना। बच्चे:- जी सर। मास्टर:- और सुनो, कल होशियार सिंह और अमरीक सिंह यहाँ नही आएंगे। (होशियार सिंह और अमरीक सिंह पीछे खुसर-पुसर करतें है।) होशियार सिंह:- चल बे, कल हमारी छुट्टी। अमरीक सिंह:- ना-ना, आना तो पड़ेगा, क्या पता कल मिठाई बटे यहाँ और मास्टर हमारा हिस्सा मार ले। होशियार सिंह:- ठीक है यार, हम चुपचाप आकर पीछे बैठ जाएंगे। – पर्दा गिरता है Scene 2: INT: क्लासरुम घंटी की आवाज के साथ पर्दा खुलता है। बच्चे शोरगुल कर रहे हैं। स्कूल इंस्पेक्टर का प्रवेश। स्कूल इंस्पेक्टर:- शांत,… बच्चों । मैं कुछ सवाल पुछुंगा, आप उनके जबाव दो। बच्चे:- यस सर! स्कूल इंस्पेक्टर:- अच्छा ये बताओ आपमें होशियार कौन है? रलिया:- सर, होशियार मैं हुँ। मैं क्लास में फर्स्ट आता हुँ। होशियार सिंह:- (शर्ट खींच कर बैठाते हुए) ऐ बैठ। सर, होशियार तो मैं हुँ, मेरा नाम होशियार सिंह है। स्कूल इंस्पेक्टर:- अच्छा अच्छा! (छड़ी से मैप की तरफ इशारा करते हुए) आप बताओ – अमरीका कहाँ है? होशियार सिंह:- सर, … अमरीका? … वो तो बाथरुम में छिपा है .., इधर आया ही नही। स्कूल इंस्पेक्टर:- हैं .. ? (छड़ी टेबल पर पटकते हुए) अच्छा ठीक है, तुम बैठोफुलतुड़ु सिंह (बुदबुदाता हुआ):- मैं तो बैठा ही था, आपने ही तो खड़ा किया मुझे। (तभी मास्टर हड़बड़ाते हुए क्लास में दाखिल होता है।) स्कूल इंस्पेक्टर:- जी, आप कौन हैं? मास्टर:- जी .. जी, मैं .. मै, इस क्लास का चीटर हुँ। स्कूल इंस्पेक्टर:- अच्छा, आप टीचर हैं! क्या पढ़ाया है आपने इन्हे? इनका डिस्सीप्लिन भी ठीक नही है। मास्टर:- नहीं सर, ये तो बहुत अच्छे बच्चे हैं। सारा कुछ जानते हैं। इनका सिलेबस भी कंप्लीट है। आप पुछिये, सर (फिर तोताराम की तरफ ईशारा करते हुए) अच्छा ये बताओ, शिव जी का धनुष किसने तोड़ा? तोताराम:- धनुष? (आश्चर्य से) .. क्या मालूम! हम तो स्कूल आए ही नही थें, .. छुट्टी पर थें, सर! स्कूल इंस्पेक्टर:- (होशियार की ओर ईशारा करते हुए) तुम बताओ, क्या जानते हो? होशियार सिंह (रुँआसा होकर):- मैं कुछ नही जानता, सर! मैं तो सबसे सीधा हुँ, मैनें धनुष देखा भी नही! ये तो हर चीज में युँ ही मेरा नाम लगा देतें हैं। स्कूल इंस्पेक्टर:- क्या मास्टर साहब? बच्चे तो कुछ जानते ही नहीं! मास्टर:- सर, बच्चे है, टुट गया होगा गलती से। कुछ ले-दे कर फिक्स कर लेंगे, सर। चलिये ना, कुछ पीने-खाने का भी इंतजाम किया हुआ है। बच्चे भी आपके लिए कुछ लेकर आए हैं, सर। स्कूल इंस्पेक्टर:- आप मुझे रिश्वत देना चाहते हैं? मास्टर:- नहीं सर, ये तो प्यार है जो हम आपके साथ बाँटना चाहते हैं! (एक बच्चे को देने का ईशारा करता है।) दे ना! (बच्चा उठकर एक बरतन स्कूल इंस्पेक्टर को पकड़ा देता है।) सर, आपके लिए। स्कूल इंस्पेक्टर:- क्या है ये? बच्चा:- दूध है, सर। (स्कूल इंस्पेक्टर डब्बा लेकर पीना शुरू करता है, पर मुँह लगाते ही थू-थू करने लगता है।) स्कूल इंस्पेक्टर:- ये दूध है? .. कहाँ से लेकर आया है? बच्चा:- सर, रात में बिल्ली आधा दूध पी गयी थी, माँ ने कहा – बांकी फेंक मत, मास्टर साब के लिए ले जा – उसको क्या पता बिल्ली का जूठा है! (स्कूल इंस्पेक्टर डब्बा नीचे गिरा देता है।) मास्टर:- अरे, तुँ मेरे लिये जूठा दूध लेकर आया था...मास्टर:- सर, बच्चे हैं सर! … नासमझ हैं, इनकी कोई गलती नही। स्कूल इंस्पेक्टर:- हां-हां, गलती तो आपकी है जो आप बच्चों को पढ़ाने कि बजाय उनके घर से सामान मंगवाते रहते हैं। गलती हमारी भी है कि हमने आप जैसे शिक्षक बहाल कर रखे है इन नौनिहालों के लिये! मास्टर:- आप गलत समझ रहे हैं, सर! ऐसा कुछ भी नही है! आइये ना, मिल बैठ कर सेट्टल कर लेते है यहीं पर! स्कूल इंस्पेक्टर:- बहुत खराब माहौल है, मै इसकी कंप्लेन शिक्षा मंत्री तक करुंगा। मास्टर:- अजीब अहमक हैं! देखते है क्या कर लेते है आप भी! शिक्षा मंत्री तो मेरे जीजा का साला है! जाइये जरुर किजीये! कहाँ-कहाँ से चले आते है, सब! – पर्दा गिरता है Scene 3: INT: शिक्षा मंत्री का दफ्तर शिक्षा मंत्री कुर्सी पर बैठा पान चबा रहा है। स्कूल इंस्पेक्टर पास में खड़ा है। मंत्री ईशारा करता है, एक अर्दली थूकदान लेकर आता है। शिक्षा मंत्री (थूकदान में पीक थूक कर):- हुँ .. ! स्कूल इंस्पेक्टर:- बहुत खराब हालत है सरकार! शिक्षा मंत्री:- आतो .., बैठिये ना पहिले! स्कूल इंस्पेक्टर:- सर, मै तो हक्का-बक्का हुँ, बच्चों को ये तक मालूम नही कि शिव का धनुष किसने तोड़ा! शिक्षा मंत्री:- हुँ! (अर्दली को आवाज लगाकर) ऐ .., जरा पीए साहब को बुलाना, स्कूल को पीछले तीन साल में क्या-क्या ईशु हुआ, उसका लिस्ट लेकर आयेगा। (पीए लिस्ट लेकर आता है।) पीए:- सर, ये रहा लिस्ट! शिक्षा मंत्री:- हाँ, तो पढ़िये ना .. क्या-क्या ईशु हुआ है? अभी हम दुध का दुध और पानी का पानी कर देते है! पीए:- सर, टेबल, कुर्सी, पिढ़िया, ब्लैक बोर्ड, खल्ली ..। शिक्षा मंत्री:- हप! अरे, इसमे शिव का धनुष है का? पीए:- नही सर, इसमे तो शिव का धनुष है ही नही! शिक्षा मंत्री:- लो .., देखो! (स्कूल इंस्पेक्टर की तरफ देखते हुए) का जी? यही सब गलत-सलत बात पुछते है, बच्चा सब से? स्कूल इंस्पेक्टर:- सर .. ? शिक्षा मंत्री:- हप .. ! अरे, जब इशुए नही हुआ है तो तोड़ेगा कौन? ऐसेही मास्टर को भी बुरा-भला कहता है ..! अरे, ऊ तो हमरे साले का जीजा है! … तुम ऐसे ही इतना कह रहा था! स्कूल इंस्पेक्टर:- सर, गलती हो गयी। शिक्षा मंत्री:- का गलती हो गयी .. ? अरे जब शिव का धनुष हम इशुए नही किये त उसको तोड़ेगा कौन .. ? सेवक पाठशाला को भी बदनाम करता है, नौकरिए हम ले लेंगे .. ! स्कूल इंस्पेक्टर:- (घबरा कर) नह .. नही सर! (शिक्षा मंत्री के पांव पर गिरने लगता है।) शिक्षा मंत्री:- हप .. ! हप .. !! हप .. !!!
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